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भास्कर सर्वे: रायपुर के 66% लोग कांग्रेस के साथ, जबकि शेष छत्तीसगढ़ के 77% लोग भाजपा के पक्ष में

रमन सिंह 56% लोगों की पसंद : विधानसभा चुनाव के ठीक पहले हुई ऑनलाइन रायशुमारी में डॉ. रमन सिंह मुख्यमंत्री के रूप में 56% लोगों की पसंद बने हुए हैं। कांग्रेस के भूपेश बघेल मुख्यमंत्री के रूप में दूसरी पसंद बताए जा रहे हैं। सर्वे में शामिल 23% लोगों की राय उनके पक्ष में है। कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव 17% लोगों की पसंद के साथ सीएम पद का तीसरा पसंदीदा चेहरा हैं। कांग्रेस से अलग होकर नई पार्टी बनाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी इस दौड़ में बेहद पीछे हैं। वे केवल 4% लोगों की ही पसंद बताए जा रहे हैं। हालांकि रमन को लेकर सर्वे में शामिल सभी लोग एक राय नहीं दिखे। छात्रों के बीच अगले मुख्यमंत्री के रूप में टीएस सिंहदेव (58%), रमन (37%) से ज्यादा लोकप्रिय हैं। इसी तरह किसानों के बीच भूपेश बघेल (48%), रमन (32%) से ज्यादा पसंद किए जा रहे हैं। रमन को नौकरीपेशा और महिला वोटर के बीच अच्छा समर्थन मिलता दिख रहा है, इसलिए वे सीएम पद की दौड़ में आगे हैं। 

कैसे किया सर्वे : भास्कर ने अपने पाठकों को मिस्ड कॉल, इंटरनेट लिंक और क्यूआर कोड के जरिए 12 सवालों की एक प्रश्नावली भेजी। इसमें कुल 1,49,272 रिस्पाॅन्स मिले। इनका विश्लेषण एक प्रोफेशनल एजेंसी ने किया। इसके आधार पर यह राय सामने आई। 

सर्वे में हिस्सा लेने वाले: राय देने वालों में व्यवसायी सबसे आगे थे। इसके बाद स्टूडेंट्स की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा रही। इनमें 38% व्यवसायी, 23% स्टूडेंट्स, 18% गृहिणी, 16% नौकरीपेशा, 3.5% किसान, 1.5% अन्य शामिल।

सर्वे में शामिल 5 संभाग- नक्सल प्रभावित क्षेत्र में भाजपा ज्यादा मजबूत: छत्तीसगढ़ को पांच संभागों में बांटकर यह सर्वे किया गया। सभी क्षेत्रों में कुल 1,49,272 लोग थे। इनमें से 55% लोगों ने कहा कि भाजपा फिर सरकार बनाएगी। लेकिन राज्य सरकार के प्रदर्शन की बात करें तो किसान (58%) और छात्र (62%) ने कहा कि रमन सरकार केवल बातें बनाने वाली सरकार है। पेशे के आधार पर बात करें तो 94% गृहिणियां यह मानती हैं कि रमन सरकार की 15 साल की एंटी इनकंबेंसी अगले चुनाव परिणाम पर असर डाल सकती है। 36% नौकरीपेशा लोग महिलाओं की राय से सहमत दिखे। व्यवसायी के बीच रमन की लोकप्रियता कम है। 46% ही रमन सिंह को अगले मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं। इससे 4% ज्यादा यानी 50% व्यवसायी भूपेश बघेल को अगले सीएम के रूप में अपनी पसंद मानते हैं। इसी तरह रायपुर संभाग में भी वे अगले सीएम के रूप में पसंद के सवाल पर बघेल से पीछे दिख रहे हैं।  बघेल यहां 41 % और रमन केवल 32% की पसंद बताए जा रहे हैं। 

अगर कांग्रेस आई तो सीएम कौन बनेगा? सवाल पर 45% का मानना है- मुख्यमंत्री तो भूपेश बघेल को ही बनना चाहिए। जबकि 35% चाहते हैं- कांग्रेस सत्ता में लौटे तो सिंहदेव बनें सीएम।

भाजपा का प्रदर्शन कैसा रहा? सवाल पर 53% लोग मानते हैं- रमन सिंह सरकार ठोस नतीजों वाली है। इसके इतर 42 फीसदी लोगों ने कहा- केवल बातें बनाने वाली सरकार है। चरणदास महंत कांग्रेस की सरकार आने की स्थिति में सीएम पद के लिए तीसरी पसंद बताए जा रहे हैं। 

किस क्षेत्र में कौन-सी सीट

रायपुर- 20 : रायपुर उत्तर, रायपुर दक्षिण, रायपुर ग्रामीण, रायपुर पश्चिम, धरसींवा, अभनपुर, आरंग, महासमुंद, खल्लारी, बसपा, सराईपाली, बलौदाबाजार, भाटापारा, कसडोल, बिलाईगढ़, राजिम, बिंद्रानवागढ़, सिहावा, कुरूद, धमतरी।

दुर्ग- 20 :  दुर्ग भिलाई नगर, वैशाली नगर, अहिवारा, दुर्ग ग्रामीण, पाटन, राजनांदगांव, खैरागढ़, डोंगरगांव, खुज्जी, मोहला-मानपुर, संजारी बालोद, गुंडेरदेही, डौंडीलोहारा, बेमेतरा, नवागढ़, साजा, कवर्धा, पंडरिया।

बिलासपुर- 24 :  बिलासपुर, बेलतरा, बिल्हा, कोरबा, रामपुर, कटघोरा, पाली, तानाखारा, मुंगेली, लोरमी, तखतपुर, मस्तूरी, कोटा, मरवाही (रायगढ़, जिला), लाइलुंगा, सारंगढ़, खरसिया, धर्मजयगढ़, जाजंगीर, चापां (जांजगीर चांपा जिला), अकलतरा, पामगढ़, जैजयपुर, चंद्रपुर, सक्ती।

बस्तर- 12 :  नारायणपुर, केशकाल, कोंडागांव, जगदलपुर, बस्तर, चित्रकोट, दंतेवाड़ा, कोंटा, बीजापुर, कांकेर, अंतागढ़, भानुप्रतापपुर।

सरगुजा- 14 : भरतपुर-सोनहत, मनेंद्रगढ़, बैकुंठपुर, अंबिकापुर, सीतापुर, लुंड्रा, रामानुजगंज, समरी, प्रेमनगर, भटगांव, प्रतापपुर, जशपुर (जिला जशपुर), कुनकुरी, पत्थलगांव।

जीएसटी और नोटबंदी से लोगों में नाराजगी : वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) और नोटबंदी केंद्र सरकार के दो अहम फैसले रहे। छत्तीसगढ़ में इन फैसलों को ज्यादा शाबाशी नहीं मिली। सर्वे में शामिल 38% पुरुषों ने इन फैसलों को खराब बताया। अच्छा कहने वाले केवल 35% ही रहे। व्यापारियों की राय पर जाएं तो केवल 40 फीसदी ने इन्हें अच्छा कहा। 59% का मानना है कि ये एक औसत फैसला था। । सर्वे में शामिल रायपुर के 53% लोगों ने इन फैसलों को औसत करार दिया। 

चुनौती- नए वोटर सरकार के कामकाज से नाखुश: नई पीढ़ी के वोटर में रमन सरकार के कामकाज को लेकर खासी नाराजगी देखी जा रही है। सर्वे में 44,433 (30%) लोग 18-25 वर्ष आयु समूह वाले थे। इनमें से 56 %  यानी 24,882 ने यह कहा कि रमन सरकार केवल बातें बनाने वाली सरकार है। इसी तरह 54 % ग्रेजुएट्स भी 15 साल की भाजपा सरकार के कामकाज से अप्रभावित नजर आ रहे हैं। उनका भी कहना है कि यह बातें बनाने वाली सरकार है।

गठबंधन, गुटबाजी और बागियों की संख्या से ही होगा आखिरी फैसला :  चुनाव के तीन बिंदुओं पर अभी भी लोगों की निगाह लगी हुईं हैं। यह किस तरह तय होते हैं, राज्य के चुनाव का नतीजा उसी दिशा में जाएगा। पिछले तीन चुनावों से भाजपा 50 या 49 सीटें लेकर सरकार जरूर बना लेती है, लेकिन भाजपा और कांग्रेस के बीच वोटों का अंतर बहुत ज्यादा नहीं है। इसलिए किसी भी सर्वे को दोनों दलों के जनाधार से जोड़कर ही देखना होगा। हमने इन्हीं तथ्यों को सामने रखने की कोशिश की है।

जीत के लिए इन तीन फैक्टर्स पर रहेगी सबकी नजर 

1. बसपा-जोगी कांग्रेस क्या करेंगे? : गठबंधन छत्तीसगढ़ चुनाव में सबसे बड़ा फैक्टर हो सकता है। बहुजन समाज पार्टी पिछले तीन चुनाव से लगातार 4 से 6 प्रतिशत के बीच वोट लेती रही है। यही अंतर भाजपा और कांग्रेस के बीच जीत-हार का फैसला कर देता है। पिछले चुनाव के बाद अजीत जोगी राज्य में लगातार दौरे करते रहे हैं और एक खास वर्ग में उन्होंने अच्छी पैठ बना ली है। अब कांग्रेस के लगभग 40% के तय वोटबैंक में वे एक प्रतिशत भी सेंध लगाते हैं तो नतीजा भाजपा के पक्ष में जा सकता है। इसलिए कांग्रेस की रणनीति होगी कि वह कम से कम बसपा को अपने साथ जोड़ ले और जोगी कांग्रेस से होने वाले नुकसान को सीमित कर ले। अगर वह ऐसा करने में सफल होती है तो नतीजे बदल सकते हैं। दूसरी तरफ भाजपा को विभाजित विपक्ष सबसे ज्यादा रास आता दिख रहा है।  

2. कांग्रेस में चेहरों का संघर्ष :  भाजपा में रमन सिंह का नेतृत्व तय है लेकिन कांग्रेस में फैसला बाकी है। भूपेश बघेल, टीएस सिंहदेव और चरणदास महंत तीनों की अपने-अपने वोटबैंक में अच्छी पकड़ है, इसलिए उनकी सबसे बड़ी मुश्किल टिकट वितरण में होगी। तीनों क्षत्रप ज्यादा से ज्यादा टिकट लेने की कोशिश करेंगे। ताकि मुख्यमंत्री पद पर दावा कर सकें। लिहाजा छोटी सी चूक भी पार्टी के लिए हार का कारण बन सकती है।

3. किस पार्टी के कितने बागी : भाजपा के लिए एंटी इनकंबेंसी सबसे बड़ा मुद्दा है। इसकी भी गहराई में अगर जाएं तो विधायकों का विरोध सबसे ज्यादा है। अगर  मौजूदा विधायकों के टिकट कटे और चुनाव जीतने के लिए नए चेहरे आएं तो बागी परेशानियां खड़ी कर सकते हैं। इसी तरह कांग्रेस में क्षत्रपों के संघर्ष में जो भी टिकट कटेंगे। बागियों का मैदान कूदना महत्वपूर्ण होगा। ऐसे में वोट काटने की राजनीति हार-जीत का एक बड़ा फैक्टर होगी।

विश्लेषण: छत्तीसगढ़ में  पिछले तीन चुनाव कांटे की टक्कर के रहे हैं। वोटों में थोड़ा सा हेरफेर भी पूरे नतीजों को पलट सकता है। ऐसे में गठबंधन नतीजे में भूमिका निभा सकता है। फिलहाल कोई गठबंधन नहीं हुआ है, लेकिन कांग्रेस और बसपा इसकी संभावनाएं टटोल रही हैं।

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